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सोमवार, ५ जून, २०२३

संपूर्ण महागाथा मराठाशाहीची भाग ९८

 

संपूर्ण महागाथा मराठाशाहीची
संग्राहक ::विनोद जाधव

भाग ९८
सातवाहन वंश के शासक (हिंदी माहिती )--------२
वेदश्री तथा सतश्री (अथवा शक्ति श्री)
शातकर्णी प्रथम की मृत्यु के पश्चात उसके दो अल्पव्यस्क पुत्र वेदश्री तथा सतश्री सिंहासन पर बैठे। परन्तु अल्पव्यस्क होने के कारण प्रशासन की सारी बागडोर उनकी मां नयनिका के हाथों में आ गई जिसने अपने पिता की सहायता से शासन चलाया। ऐसा प्रतीत होता है कि वेदश्री की अल्पायु में ही मृत्यु हो गई तथा सतश्री ने उसके उत्तराधिकारी के रूप में शासन संभाला। परन्तु पुराण इस विषय में एकमत है कि शातकर्णी प्रथम के पश्चात् पूर्णोत्संग नामक राजा सातवाहन सिंहासन पर आसीन हुआ। चाहे चतुर्थ सातवाहन शासक का नाम कुछ भी रहा हो, यह तो निश्चित है कि इस शासक के शासन काल में ही पुष्यमित्र शुंग ने अंतिम मौर्य शासक ब्रहद्रथ को मार कर मगध राज्य पर अधिकार कर लिया था। मत्स्यपुराण में स्कन्दस्तम्भी का उल्लेख सातवाहन वंश के पाँचवें शासक के रूप में केया है परन्तु अधिकतर विद्वान इस नाम को कल्पित मानते हैं।
शातकर्णी द्वितिय
शातकर्णी द्वितिय ने लगभग 166 ई0पू0 से लेकर 111 ई0पू0 तक शासन किया। यह कदाचित वही शासक था जिसका वर्णन हीथीगुम्फा तथा भीलसा शिलालेखों में हुआ है। यह प्रतीत होता है कि इसके शासन काल में सातवाहनों ने पूर्वी मालवा को पुष्यमित्र शुंग के एक उत्तराधिकारी से छीन लिया।
पुराणों के अनुसार शातकर्णी द्वितिय के पश्चात् लम्बोदर राजसिंहासन पर आसीन हुआ। लम्बोदर के पश्चात् उसका पुत्र अपीलक गद्दी पर बैठा। अपीलक जो कि आठवाँ सातवाहन शासक था, इन दोनां के मध्य का काल सातवाहनों के सन्दर्भ में अंधकार युग माना गया है जिसमें केवल कुन्तल शातकर्णी के काल को ही अपवाद माना जा सकता है। कुन्तल शातकर्णी, अपीलक के पश्चात् सातवाहनों का अगला महत्वपूर्ण शासक था। कामसूत्र में वात्सायन ने कुन्तल शातकर्णी का उल्लेख करते हुए लिखा है कि उसने अपनी उंगलियों को कैंची के रूप में प्रयोग किया तथा इसके प्रहार से उसकी पटरानी मलयवती की मृत्यु हो गई। काव्यमिंमाशा में राजेश्वर ने कुनतल शातकर्णी का वर्णन करते हुए कहा है कि उसने अपने रनिवास में रहने वाली अपनी रानियों को यह आदेश दिया था कि वे केवल प्राकृत भाषा का प्रयोग करें।

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